MSP बढ़ने से सरसों और मसूर का उत्पादन बढ़ेगा, महंगाई पर लगेगी लगाम

यानी फसल सीजन 2024-25 के लिए जब रबी फसलों की खरीद शुरू होगी, तो सभी किसानों को नई एमएसपी की दर से पैसे मिलेंगे। इस साल सरकार ने सरसों और अलसी जैसी फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी की है, जिससे किसानों को ज्यादा मुनाफा मिलेगा और वे इन फसलों की खेती को बढ़ावा देंगे।
गेहूं, अलसी, सरसों, कुसुम, मटर, चना और जौ रबी फसल में आते हैं। इनकी बुवाई अक्टूबर से नवंबर के महीने में की जाती है। खासतौर पर बता दें कि रबी फसलों की सबसे अधिक खेती उत्तर भारत के राज्यों में की जाती है। अब बात गेहूं की करें तो उत्तर प्रदेश इसका सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। उत्तर प्रदेश राज्य में अधिकतर किसान गेहूं की फसल को उगाना पसंद करते हैं। इसके बाद गेहूं की बुवाई में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और बिहार का नंबर आता है।
अभी केंद्र सरकार ने गेहूं की एमएसपी में 150 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। इसके बाद गेहूं की एमएसपी रबी मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए 2275 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। यानी पीएम मोदी के कैबिनेट के फैसले से यूपी, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, गुजरात और बिहार के करोड़ों किसानों को काफी अधिक फायदा मिलेगा
देश में सरसों का उत्पादन
इसी तरह सरसों के उत्पादन में भी राजस्थान पहले नंबर पर आता है। राजस्थान राज्य में सबसे अधिक सरसों की खेती की जाती है। देश में कुल उत्पादित सरसों में 46.7% हिस्सेदारी राजस्थान की होती है। इसका मतलब यह है कि राजस्थान अकेले 46.7% सरसों का उत्पादन करता है। इसके बाद मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल का स्थान आता है। अभी केंद्र सरकार ने सरसों की एमएसपी में 200 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। इसके साथ ही सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6550 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। ऐसे में इन राज्यों के किसानों को काफी फायदा मिलेगा।
महंगाई भी कम हो जाएगी
वहीं कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि देश में खपत के अनुसार सरसों का उत्पादन काफी कम है। ऐसे में विदेश से खाद्य तेलों का आयात करना पड़ता है। लेकिन केंद्र सरकार ने एमएसपी में बढ़ोतरी करने का फैसला लेकर काफी अच्छा कदम उठाया है। यह फैसला सही समय पर लिया गया है क्योंकि अभी सरसों की बुवाई का सीजन चल रहा है। ऐसे में एमएसपी में बढ़ोतरी होने से किसान अधिक कमाई करने के लिए अधिक रकबे में सरसों की बुवाई करेंगे। इससे देश में सरसों का उत्पादन बढ़ जाएगा, जिससे सरसों तेल की कीमतों में गिरावट आ सकती है। इससे महंगाई भी कम हो जाएगी।
इतना है मसूर का उत्पादन
दाल भी भारतीय भोजन का प्रमुख आहार होती है। मसूर और चने की दाल लगभग हर भारतीय की थाली में रोजाना व्यंजन के रूप में आती है। लेकिन इनका उत्पादन डिमांड के मुकाबले काफी कम देखने को मिलता है। बात अगर मसूर की करें तो देश में इसकी खपत हर साल 2.4 मिलियन मीट्रिक टन होती है, जबकि इसका उत्पादन मात्र 1.2 मिलियन मीट्रिक टन है। ऐसे में मसूर दाल का विदेश से आयात किया जाता है। हालांकि, इसके बावजूद भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मसूर उत्पादक देश है।
लाखों किसानों को फायदा होगा
मध्य प्रदेश में सबसे अधिक मसूर की खेती की जाती है। मध्य प्रदेश में लगभग 5.85 लाख हेक्टेयर में किसान मसूर की बुवाई करते हैं। इसके बाद उत्तर प्रदेश में लगभग 34.36% और बिहार में 12.40% इलाके में मसूर की खेती की जाती है। अभी सरकार ने मसूर की एमएसपी पर 425 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी करते हुए मसूर का भाव 6425 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। यानी मसूर की एमएसपी बढ़ने से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार के लाखों किसानों को अधिक लाभ देखने को मिलेगा और वे इस बार और अधिक रकबे में मसूर की बुवाई करेंगे।